मंडल के अयोध्यानगर संभाग पांच अंतर्गत आने वाली उक्त भूमि में से करीब आधा एकड़ पर फ्लोरा सिटी विकसित करने वाले एक बिल्डर ने कब्जा कर लिया। बाद में इसे अपनी कालोनी की सीमा में शामिल कर इसे वाउण्ड्री वाल से घेर दिया गया। यही नहीं कालोनाईजर्स ने इस भूमि पर व्यवसायिक परिसर तैयार करने की नींव भी खड़ी कर दी।
हैरत की बात यह कि फ्लोरासिटी से ही चंद कदम की दूरी पर मंडल के संभागीय कार्यालय में बैठे जिम्मेदार अधिकारियों की इसकी भनक तक नहीं लगी। यही नहीं अतिक्रमणकत्र्ता ने नगर एवं ग्राम निवेश व नगर निगम के अधिकारियों से मिलीभगत कर इसकी एनओसी व नक्शा पास कराने जैसी औपचाकिताओं की पूर्ति भी कर ली। इस मामले का खुलासा गए साल विधानसभा में एक मामला उठने के बाद हुआ तब जिले के राजस्व अमले ने जमीन की नाप -जोख की। इसमें फ्लोरासिटी में शामिल कर ली गई करीब ०.४५ एकड़ जमीन गृह निर्माण मंडल की निकली। इसके बाद ही मंडल के अधिकारी सतर्क हुए ।
सूत्रों का दावा है कि उक्त जमीन पर अतिक्रमण कराने में मंडल के ही अधिकारियों की मिलीभगत रही है। बहरहाल यह मामला उजागर होने के बाद अतिक्रमणकारी ने मंडल मुख्यालय में आवेदन देकर उक्त जमीन कहा कि संबंधित जमीन मंडल के लिए किसी काम की नहीं,लिहाजा यह उसे या तो आवंटित कर दी जाए या बेंच दी जाए। आश्चर्यजनक बात यह है कि मंडल मुख्यालय में बैठे आला अफसर बिल्डर के इस प्रस्ताव से सहमत भी हो गए और अब इस अतिक्रमण को कानूनी वैधता प्रदान कराने की तैयारी है। गौर भी मंडल से खफा इधर,अयोध्यानगर कालोनी में व्याप्त अव्यवस्थाओं को लेकर नगरीय प्रशासन मंत्री बाबूलाल गौर ने नाराजगी जताई। मंगलवार को ही अपने निवास पर आयोजित एक बैठक में उन्होंने अयोध्यानगर क्षेत्र के लोगो की समस्याएं सुनी । श्री गौर ने कहा कि यह गृह निर्माण मण्डल का नैतिक दायित्व है कि वह अपनी कालोनियों का रख-रखाव करें ताकि वहां के नागरिकों को कोई असुविधा न हो। इसके लिए उन्होंने मंडल को 60 दिन की मोहलत दी। बैठक में अयोघ्या नगर के रहवासियों ने शिकायत की कि पिछले 15 सालों से मकानों की पुताई नहीं की गई। पिछले पाँच साल से ई. डब्ल्यू.एस. मकानों, जे सेक्टर, ई सेक्टर, एफ सेक्टर सहित अन्य सेक्टरों के चेम्बर टूटे पड़े हैं, पाइप लाइन क्षतिग्रस्त हैं।
सड़कें जर्जर हालत में हैं और अनेक शिकायतों के बाद ही मरम्मत काम नहीं कराये जाते हैं। बैठक में गृह निर्माण मण्डल के अधिकारियों ने बजट की कमी की शिकायत की। इस पर श्री गौर ने कहा कि राशि की व्यवस्था वे मण्डल से करायें, यदि उसमें कोई कठिनाई हो तो वे स्वयं उच्च अधिकारियों को लिखेंगे। उन्होंने नगर निगम सीमा से १२ किमी. तक पत्थरों की खुदाई पर प्रतिबंध लगाने के निर्देश भी जिला कलेक्टर को दिए। ज्ञात हो कि पत्थरों की खुदाई व क्रेशर्स से होने वाले प्रदूषण से इलाके के रहवासियों के स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ रहा है।