भोपाल : गुरुवार,27 अक्टूबर 2022 मध्यप्रदेश में भी अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। मुख्य मंत्री को केवल राजधानी की जर्जर सड़कों के मुद्दे भर ही नहीं अब पूरे मध्यप्रदेश की जर्जर सड़कों के मुद्दे पर चिंता जाहिर करने का समय आ गया है।आपकी कैबिनेट के एक सहयोगी मंत्री को तो अपने ही विधानसभा क्षेत्र की सड़कों को ले कर जूते चप्पल तक त्याग कर,बिना जूते ,चप्पल के पैदल चल कर जनता से माफ़ी मांगनी पड़ रही है। मुख्य मंत्री आज आप राजधानी की जर्जर सड़कों के लिए पीडव्लू डी और नगर निगम के अफसरों की बड़ी मीटिंग कर रहे हैं। अब अफसर का रहे हैं कि सड़कों के रेस्टोरेशन का प्लान बनाएंगे। गड्ढों और धूल में तब्दील हो चुकी प्रदेश की लगभग 60 फीसदी जर्जर सड़कों की तस्वीर बदलने के लिए अभी भी कोई ठोस कदम नहीं उठाये जा रहें है। मुख्य मंत्री जी आप हमेशा अपने लोक लुभावनें भाषण में बोलतें हैं कि मध्यप्रदेश विकास की नई परिभाषा गढ़ रहा है। प्रगति का एक रास्ता सड़क से होकर गुजरता है लेकिन मध्य प्रदेश में सड़कों की दुर्दशा के कारण आपके एक मंत्री को जूते चप्पल त्यागने पड़ रहे हैं। माना कि मध्यप्रदेश में विपक्ष नाकारा है, पर आप तो अमेरिका की सड़कों से बेहतर मध्यप्रदेश की सड़कों का बखान करतें रहें हैं।
करोड़ों की टोल वसूली वाली सड़कों पर भी एक बार घूम आइयें, हुजूर !
बाकी सड़के तो छोड़िए हुजूर,यहां कई करोड़ों की टोल वसूली कर चुकने वाली सड़कों पर भी एक बार घूम आइयें ! गड्ढों के रूप में बड़े-बड़े काले धब्बे उभर आए हैं। हालत यह है कि इन सड़कों की ऊपरी परत ही गायब बताई जा रही है। इन पर सरपट दौड़ने वाले वाहन भी हिचकोले खाने लगे हैं। सड़कों के निर्माण और मरम्मत के नाम पर हर साल आठ हजार करोड़ रुपए खर्च होने के बावजूद स्थिति निराशाजनक है। मध्य प्रदेश सरकार स्वयं मान रही है कि इस साल प्रदेश में अतिवृष्टि से कुल 6954 किमी सड़कों को भारी नुकसान पहुंचा है। 1027 पुल-पुलियाएं भी जर्जर हुई हैं। इनकी मरम्मत के लिए लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) ने सरकार से लगभग 1200 करोड़ रुपए का बजट भी मांगा है।