कोरोना वायरस - बिना परीक्षण और अप्रामाणिक आधार पर दवाओं को देना घातक हो सकता है- - अरुण द्विवेदी

भोपाल। गुरुवार, 2 अप्रैल 2020 कोरोना के खतरे के बीच मलेरियारोधी गोलियां यानी हाइड्रोक्लोरोक्विन और क्लोरोक्विन खाने की सलाह दी जा रही है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने हाल में एडवाइजरी जारी कर कोरोना संक्रमित लोगों के इलाज करने वाले डॉक्टर व स्टाफ के लिए हाइड्रोक्लोरोक्विन टैबलेट खाने की सलाह दी है। उसी कड़ी में आज मध्यप्रदेश संचालनालय स्वास्थ्य सेवाएँ ने स्वास्थ्य कर्मियों को कोविड-19 के संक्रमण से बचाव के लिये हाइड्रोक्लोरोक्विन दवा लेने की सलाह  देते हुए वाकयदा दावा किया है कि भारत सरकार के दिशा-निर्देशों में कोविड-19 के संक्रमण से बचाव के लिये इसे उपयोगी पाया गया है। जबकि वैज्ञानिको का मत है कि इससे खतरा पैदा हो सकता है।अभी इसकी जाँच चल रही है। परीक्षण चल रहा है। परिणाम अभी तक नहीं आया है। वही आईसीएमआर द्वारा कोरोना के प्रभावित अथवा संभावित व्यक्तियों की चिकित्सालयों में देखभाल करने वाले सभी लक्षणविहीन स्वास्थ्य कर्मियों को भी यह दवा लेने की अनुशंसा की गई है। चिकित्सालयों में कोविड-19 के उपचार और देखभाल में लगे डॉक्टर, नर्सिंग स्टॉफ, पैरामेडिकल स्टॉफ को चिकित्सकीय परामर्श के बाद यह दवा उपलब्ध कराने के निर्देश भी दिये गये हैं। आपको बता दे कि अमरिका के खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) ने कोरोना वायरस के मरीजों के इलाज के लिए आपातकाल में मलेरिया की दो दवाओं के सीमित प्रयोग को स्वीकृति दी तो अमरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इन दो दवाओं को महत्त्वपूर्ण बदलाव लाने वाला बताया। रविवार को प्रकाशित एक बयान में, अमेरिका स्वास्थ्य एवं मानवीय सेवा मंत्रालय ने राष्ट्रीय संचय में दिए गए क्लोरोक्विन और हाइड्रोक्लोरोक्विन समेत अन्य दवाओं के हालिया दान की विस्तृत जानकारी दी। इन दोनों दवाओं के कोविड-19 मरीजों के इलाज में प्रयुक्त हो सकने की संभावना की जांच हो रही है। मंत्रालय ने बताया कि एफडीए ने इन्हें “वितरित करने और डॉक्टरों द्वारा अस्पताल में भर्ती कोविड-19 के किशोर एवं वयस्क मरीजों के लिए लिखे जाने को उचित बताया है जब तक वैज्ञानिक परीक्षण उलब्ध न हो या संभव न हो।” ट्रंप ने पिछले हफ्ते कहा था कि दोनों दवाएं “ईश्वर का तोहफा” हो सकती हैं। हालांकि वैज्ञानिक बार-बार आगाह करते रहे कि अप्रमाणित इलाजों को बढ़ा-चढ़ा कर बताने से खतरा पैदा हो सकता है। अमेरिका के शीर्ष संक्रामक रोग विशेषज्ञ एंथनी फॉसी समेत कई अनुसंधानकर्ताओं ने छोटे-छोटे अध्ययनों के वृहद परीक्षणों से प्रमाणित न हो जाने तक लोगों से सतर्क रहने को कहा है। देश के दो चिकित्सीय संस्थान - राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान और बायोमेडिकल उन्नत शोध एवं विकास प्राधिकरण फिलहाल इन परीक्षणों की योजना पर काम कर रहे हैं। अब आप ही सोचिए अमेरकीय राष्ट्रपति ट्रंप ने पिछले हफ्ते कहा कि दोनों दवाएं “ईश्वर का तोहफा” हो सकती हैं और  हमारे इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने बिना परीक्षण किए एडवाइजरी जारी कर कोरोना संक्रमित लोगों के इलाज करने वाले डॉक्टर व स्टाफ के लिए हाइड्रोक्लोरोक्विन टैबलेट खाने की सलाह दे डाली। और उसी कड़ी में आज मध्यप्रदेश संचालनालय स्वास्थ्य सेवाएँ ने स्वास्थ्य कर्मियों को कोविड-19 के संक्रमण से बचाव के लिये हाइड्रोक्लोरोक्विन दवा लेने की सलाह  देते हुए दावा किया है कि  भारत सरकार के दिशा-निर्देशों में कोविड-19 के संक्रमण से बचाव के लिये इसे उपयोगी पाया गया है। जबकि बिना परीक्षण और अप्रामाणिक आधार पर इन दवाओं को देना घातक हो सकता है। 

 
 
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